कोरोना वायरस का आँखो पर प्रभाव &आयकेअर in Covid-19|
वैश्विक बीमारी कोविड -१९ आज सभी डॉक्टर्स ,आरोग्य संघटना और हेल्थ केअर वर्ग के लोगो के सामने एक चुनौती बनके खड़ी है। कोरोना वायरस आँखों को प्रभावित कर सकता है। क्या आप जानते है कोरोना वायरस आँखों को भी संक्रमित कर सकता है। कोरोना संक्रमित व्यक्ति के आंसू या नेत्रस्राव संदूषण के संभावित स्त्रोत है। आँख में उपस्थित पारदर्शी श्लेष्मल झिल्ली (कंजक्टिवा ) की माध्यम से कोरोना वायरस आँखों को संक्रमित कर सकता है। इसलिए आँखों को कोरोना संक्रमण से सुरक्षित रखना बहोत ही जरुरी है।
कोरोना संक्रमित व्यक्ती के निकट संपर्क या उनके रेस्पिरेटरी ड्रॉपलेट (खाँसी ,छींक ,थूक,आदि का हवा में उपस्थित कणों का संपर्क), उनकी इस्तमाल किए गए कपडे,बर्तन ,फर्निचर ,डोअर हैंडल या कोई भी सामग्री सतह का आपसे संपर्क हो जाना या इनसे संक्रमित हाथोंसे आँख ,मुँह ,नाक, गुद आदि अवयवों के स्पर्श से वायरस का संक्रमण होता है। विशेषतः इन अवयवों पर उपस्थित श्लेष्मल झिल्ली द्वारा वायरस मानवी शरीर में प्रवेश करता है और संक्रमण के लक्षण २-१४ दिनों में दिखाई देते है|
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कोविड -१९ की नेत्रसंबंधि अभिव्यक्ति –
आँखों के आँसू या स्त्राव संदूषण के संभावित स्त्रोत है। ऑक्युलर संक्रमण वायरस के संचरण का वैकल्पिक मार्ग है। कोविड -१९ आँखों में जलन ,नेत्रस्राव , प्रकाश असहत्व, लाली सहित लक्षण पैदा कर सकता है। अब तक किए गए रिसर्चों के मुताबिक कोविड -१९ , १-३ % लोगों में पिंकआय -कंजंक्टिवाइटिस प्रारंभिक या देर से प्रकट होनेवाला रूप है।
आँखों से वायरस कैसे संक्रमित होता है ?
आँख किसी भी वायरस को मानवी शरीर में प्रवेश के लिए एक सीधा संभावित द्वार के रूप में माना जाता है। आँखों का सफ़ेद भाग और पलकों को रेखाँकित करने वाली पारदर्शी श्लेष्मल झिल्ली याने की कंजाक्तिवा पर उपस्थित रिसेप्टर (अभिग्राहकों ) पर वायरस चिपक जाता है। जहाँ यह वायरस अपनी अभिव्यक्ति में बदलाव लेकर नॉर्मल आँखों की पेशियों की तरह आकृति धारण कर लेता है। आँखे यह नॉर्मल पेशीया मानकर पेशी विभाजन (cell division) का इनको हिस्सा बना लेती है। जहाँ पर एक सूक्ष्म कण (वायरस ) से अनेक सूक्ष्म कणों की निर्मिति होती है (virus replicates) | परिणामस्वरूप आँखों में संक्रमण के लक्षण दिखाई देना शुरू होते है।
कोरोना वायरस आँखों को कैसे संक्रमित कर सकता है ?
आंसू वाहक प्रणाली – लैक्रिमल सिस्टम आँखों को नाक और गले से जोड़ती है। इस प्रकार वायरस ले जाने वाले आंसू श्वसन प्रणाली तक पहुंच सकते हैं। कोरोना वायरस आँखों से वैसे ही फ़ैल सकता है जैसे मुँह और नाक से होता है। जब कोई कोरोना संक्रमित व्यक्ति खांसी , छींक या बात करती है तो वायरस के पार्टिकल्स उनके मुँह या नाक से आपके चेहरे पर फ़ैलते है। आप इन ड्रॉप्लेट्स को सांस के द्वारा अपने अंदर लेने की संभावना है। लेकिन यह पार्टिकल्स आपकी आँखों की माध्यम से भी आपके शरीर में प्रवेश कर सकते है। जिन चीज़ों पर वायरस है उस चीज़ को छूने के बाद अपनी आँखों को छूने से भी संक्रमित हो सकते है। इस तरह आँखे कोरोना से संक्रमित हो सकती है।
हालांकि वायरल कंजंक्टिवाइटिस एडेनो वायरस के कारण होता है। कोरोना संक्रमित आँखों के लक्षण वायरल कंजंक्टिवाइटिस के समान दिखाई दे सकते है। किन्तु मरीज़ को इन लक्षणों के साथ कोरोना के अन्य लक्षण जैसे सुखी खाँसी ,गले में खराश ,बुखार,सरदर्द ,साँस लेने में तक़लीफ़ होना आदि सहित, या कोरोना संक्रमण के प्राथमिक लक्षण स्वरुप भी कंजंक्टिवाइटिस या पिंक आय दिखाई देता है।
वायरल कंजंक्टिवाइटिस या पिंक आय में दिखाई देने वाले सामान्य लक्षण –
- आँखे लाल होना
- नेत्रश्लेष्मलाशोथ (chemosis)
- पानी आना / नेत्रस्राव
- पलकों की सूजन
- नीचे की पलक में फॉलिकल्स की उपस्थिती
- कॉर्निया की ऊपरी सतह (superficial surface) पर छोटे छोटे श्वेतवर्णी दाने (superficial punctate keratitis)
- प्रिऑरिक्युलर लिम्फेडेनोपैथी
- गंभीर केसेस में कंजाक्तिवा की सतह पर सुडोमेम्ब्रेन तैयार होती है।
वायरल कंजंक्टिवायटिस का इलाज –
हालांकि आज तक किसी भी वायरस को पूर्णरूप से नष्ट करनेवाली सिद्ध प्रभावकारिता के साथ कोई भी दवा उपलब्ध नहीं है। इसलिए वायरल कंजंक्टिवाइटिस के लिए सपोर्टिव /सहाय्यक चिकित्सा का अवलंब किया जाता है।
- टॉपिकल वासोकोन्सट्रिक्टर आय ड्रॉप (आँखों की लाली कम करने में मदद करते है। )
- एंटीबायोटिक आय ड्रॉप ( सतही और सेकंडरी संक्रमण को कम करते है। )
- अर्टिफिशियल टीअर आय ड्रॉप ( आँखों में असहजता कम करने में मदद करते है। )
- डार्क गॉगल्स प्रकाश संवेदनशीलता और चकाचौंध से बचाते है।
- टॉपिकल कॉर्टिकोस्टेरॉइड आय ड्रॉप कंजंक्टिवल मेम्ब्रेन जैसे गंभीर रूपों के लिए उपयोग किये जाते हैं।
- पलकों को ठंडी (बर्फ) चीज़ों से संपीड़ित करना (Cold compression) अस्थायी रूप से लक्षणों को कम करने में मदद करता है।
कोरोना से आँखों को कैसे सुरक्षित रखे ?
आपको कोरोना से आँखों को सुरक्षित रखने के लिए क्या सावधानी बरतनी चाहिए –
- आपके हाथों को एंटीसेप्टिक साबुन या हैंडवॉश से बार बार धोए।
- आँख ,नाक, मुँह को बार बार स्पर्श न करे।
- मास्क पहने।
- आँखों के संक्रमण से बचने के लिए प्रोटेक्टिव ग्लासेस / चश्में का इस्तमाल करे।
- फेस शील्ड का उपयोग करे।
- अपने मुँह को ठीक तरह से कपड़े या स्कार्फ़ से ढके।
- फर्निचर ,फर्शी ,डोअर हैंडल या नॉब ,सीढ़ियों की ग्रिल ,कम्पाउंड ,गेट जैसे बार बार संपर्क होनेवाले सतहों को बार बार निर्जन्तुक करे।
- भीड़ -भाड़ वाली जगहों से बचे।
- सोशल और फिजिकल डिस्टन्सिंग का अवलंब करे।
संक्रमित व्यक्ती को इसके उपरान्त क्या सावधानी लेनी चाहिए –
- संक्रमित व्यक्ति को सख्त स्वछता संबंधी नियमों का पालन करना अनिवार्य है।
- ऎसे मरीज़ों को आइसोलेशन / अलग जगह या कमरे में रखना बहोत ही जरुरी है , इससे बीमारी फ़ैलने में कुछ प्रतिशत निर्बंध लगाया जा सकता है।
- उनके इस्तमाल किए गए टॉवल,कपड़े ,रुमाल आदियों को गर्म पानी ,डिटर्जेंट या एंटीसेप्टिक लिक्विड से रोजाना धोए।
- अगर आप कॉन्टैक्ट लेंस पहनते हो तो संक्रमण का पूरा हल होने तक इसका इस्तमाल बंद करे।
- आँखों को न रगड़े।
- आँखों को बार बार स्पर्श न करे।
- डार्क गॉगल्स का उपयोग करे।
- आँख और पलकों को निर्जन्तुक रुई और गरम पानी की सहायता से साफ़ करे। (संक्रमित व्यक्ती की आँखों से निकलते हुए पानी या स्त्राव भी संक्रमण के स्त्रोत होते है। )
- एक बार इस्तमाल की गयी रुई फिरसे इस्तमाल न करे।
- आँखों की स्वछता के लिए इस्तमाल किये गए कपड़े ,रुई, पानी को उचित रूप से निपटे। (जैसे संक्रमित कपड़े,रुई आदि चीजों को हाँथ लगाने से पहले ग्लव्स का इस्तेमाल करे किन्तु ध्यान रहे की आपकी हाँथो का स्पर्श अन्य किसी जगह पर न हो। वेस्ट सामग्री को दैनिक उपयोग किये जानेवाले डस्टबिन में न फेंके। इन सामग्रियों को अखबार ,पॉलीथिन में अच्छी तरह से लपेटकर ठीक से निपटे )
इन चीजों पर विशेष ध्यान दे –
- अगर हाल ही में आपके आँखों की कोई भी सर्जरी हो गयी है,ऐसे लोगों को आँखों की स्वछता,देखभाल इन चीजों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। क्योंकि ऐसी आँखे संक्रमण के लिए अंतिसंवेदनशील होती है।
- कंजंक्टिवाइटिस कई अनेक और दूसरे बैक्टीरिआ ,वायरस के कारण भी हो सकता है। मानसून के मौसम में अक्सर संक्रमित हवा और पानी से बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस महामारी का प्रकोप दिखाई देता है। तो यह जरुरी नहीं है की आज के इस कोरोना सर्वव्यापी महामारी के चलते हर कंजंक्टिवाइटिस का मरीज़ कोरोना का ही शिकार हो। आप सतर्क रहिए ,आँख संबंधि कोई भी शिकायत होने पर आपके आँख के डॉक्टर से पहले बातचीत कीजिए ,उनकी उचित सलाह ले और उनके बताए सूचना ,नियमों का पालन करें।
- अगर आपको
- आँखों में जलन
- चूभने जैसा प्रतीत होना
- आँखे लाल होना,
- लगातार आँखों से पानी बहना और
- आँख ,पलकों की सूजन ,लाली, इनमे से कोई भी लक्षण दिखाई दे और लक्षण हलके या सौम्य हो तो ,फोन कॉल या विडिओ कॉल द्वारा अपने आँख की डॉक्टर की सलाह ले। लेकिन अगर लक्षणों की तीव्रता अधिक है तो आपको प्रत्यक्ष आय हॉस्पिटल में जाकर जॉंच करवाने की आवश्यकता है।
आँखों के संबंधित कोविड -१९ के अबतक किए गए अध्ययन और उसके निष्कर्ष –
- द जर्नल ऑफ़ मेडिकल विरोलॉजी के स्टडी के मुताबिक़ अस्पताल में भर्ती किये गए ३० कोविड -१९ के मरीजों में से केवल एक रोगी को नेत्रश्लेष्मलाशोथ (कंजंक्टिवाइटिस ) का निदान किया गया|
- चीन के अस्पतालों के एक हाल ही में किये गए अध्ययन में ,न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ़ मेडिसिन में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार कोरोनावायरस के कन्फर्म केसेस में से नौ लोगों को लाल या संक्रमित आँखे मिली थी ।
- जामा ऑप्थल्मोलॉजी में प्रकाशित हुए एक अध्ययन के अनुसार कोविड -१९ के भर्ती किये गए ३८ मरीजों में से १२ लोगों को आँखों से संबंधित शोथ ,श्लेष्मला शोथ ,पानी आना, और आँखों के स्त्रावों में बढ़ाव आदि लक्षण पाए गए।
- कैनेडियन ऑप्थल्मोलॉजीकल सोसाइटी द्वारा प्रकाशित लेख में ,नॉर्थ अमेरीका में कोविड -१९ बीमारी के प्रारंभिक लक्षणों में Keratoconjunctivitis का दिखाई देने वाला पहला केस मिला। जिसमे मरीज़ की आँखे लाल होना ,पानी आने के साथ बुखार के बिना हलके श्वसन के लक्षण पाए गए। प्रभावित आँख का कंजंक्टिवल स्वैब लेने के बाद वो मरीज़ SARS-COV 2 के लिए पॉज़िटिव आ गया।
- इटली के नॅशनल इंस्टिट्यूट फॉर इन्फेक्टिव डिसीज के वैज्ञानिकों के अनुसार आँखे लाल होना कोरोना का लक्षण है। चीन के वुहान शहर से इटली लौटी ६५ साल की एक महिला में पाँच दिनों बाद उसकी आँखे लाल हो गयी और बाद में बुखार के साथ आँखों की लक्षणों की गंभीरता बढ़ गयी।
- कोरोना वायरस संक्रमण से लेकर २१ दिनों तक आँखों में रहता है ,अबतक की की गयी रिसर्चों के मुताबिक कोविड -१९ बीमारी, १-३ % लोगों में पिंक आय (कंजंक्टिवाइटिस ) हो सकती है।